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रामानंदाचार्यजी की बहुआयामी प्रतिभा

जगद् गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य जी एक अद्वितीय और दूरदर्शी नेतृत्वकर्ता हैं, जिनका कार्यक्षेत्र अध्यात्म, सामाजिक सुधार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और मानव सेवा तक विस्तृत है। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व निम्नलिखित पहलुओं में झलकता है।

उत्कृष्ट नियोजक

जगद् गुरु नरेंद्राचार्य प्रत्येक वर्ष का संपूर्ण कार्यक्रम डेढ़ वर्ष पहले तय करते हैं और दिनदर्शिका प्रकाशित करते हैं। प्रत्येक उपक्रम की सूक्ष्म योजना बनाकर ही शुरुआत की जाती है, इसलिए आरंभ किया गया कोई भी कार्य कभी रुकता नहीं।

कुशल प्रशासक और प्रबंधक
 

“जगद् गुरु नरेंद्राचार्य महाराज संस्थान” और “संजीवन ट्रस्ट” जैसी संस्थाएँ स्थापित कर उन्होंने प्रबंधन, समन्वय और कार्य-प्रगति के लिए आधुनिक सॉफ़्टवेयर प्रणालियाँ विकसित कीं। उनकी प्रेरणा से लाखों लोग सामाजिक सेवा से जुड़े हैं।

वास्तुकला व आधारभूत संरचना के विशेषज्ञ

नाणीजधाम और देशभर में 12 उपपीठें उनके मार्गदर्शन में निर्मित हुई हैं। मंदिर, सभागार और प्रवचन मंच सहित अनेक इमारतों तथा प्रत्येक स्थल के परिसर में उन्होंने व्यक्तिगत सहभाग से आध्यात्मिक वातावरण निर्मित किया है।

कवि और लेखक
 

18 दिनों में 3,051 ओवियों का “श्री लीलामृत” यह महाकाव्य रचकर उन्होंने सांसारिक जीवन में अध्यात्म और मूल्यों का महत्व स्पष्ट किया। उनके अनेक ग्रंथों से आध्यात्मिक विचारों का प्रसार होता है।

विलक्षण वक्ता

उनके प्रवचन सरल, प्रभावी और हृदयस्पर्शी शब्दों में होते हैं। जटिल विषयों को भी वे सहज भाषा में समझाते हैं, जिससे सामान्य लोगों को भी ज्ञान सरलता से प्राप्त होता है।

जीवन-मार्गदर्शक

उनकी “त्रिसूत्री” – आँखें वैज्ञानिक, मन आध्यात्मिक, बुद्धि यथार्थवादी – जीवन की कठिनाइयों पर प्रकाश डालती है। वे लोगों को अंधविश्वास से दूर रखकर ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।

संगठन कौशल में पारंगत
 

उन्होंने युवा सेना, महिला सेना, पुरुष सेना और हिंदू संग्राम सेना स्थापित कर समाजसेवा को जनआंदोलन बनाया। विविध घटकों के लाखों लोगों को एकत्र करके सामूहिक कार्यशक्ति निर्मित की।

धर्मरक्षक

उन्होंने लाखों परिवारों को अब तक पुनः सनातन धर्म में लौटाया है और 15,400 अंतर-समुदाय विवाह कराकर सामाजिक एकता बढ़ाई है। इसके अतिरिक्त जातिभेद दूर करने और धर्मसंरक्षण हेतु वे क्रांतिकारी उपक्रम चलाते हैं।

समाज-सुधारक

सभी जातियों के लिए वेदपाठशालाएँ आरंभ करके ज्ञान का अधिकार सार्वभौमिक किया। देहदान-अवयवदान, अंधविश्वास व दहेज उन्मूलन, वेद-विज्ञान शिक्षा जैसे उपक्रमों द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान किया।

कुशल तकनीक-ज्ञानी

आईटी तकनीक का उपयोग कर 17 अनुप्रयोग विकसित किए और सेवा कार्य को अधिक तीव्र व प्रभावी बनाया। 150–200 अभियंताओं की सहायता से तकनीकी प्रगति और अध्यात्म का संगम स्थापित किया।

प्रकृति-रक्षक

ग्लोबल वार्मिंग के विरुद्ध उन्होंने पदयात्रा, वृक्षारोपण, जल-अवरोधन, सौर ऊर्जा, नेट-ज़ीरो जैसे उपक्रम संचालित किए हैं। पर्यावरण संरक्षण ही धर्मपालन है—इस भावना से उन्होंने कार्य खड़ा किया है।

उत्कृष्ट समाजसेवी

आपदा काल में अन्न, वस्त्र, औषधियाँ, एम्बुलेंस सेवा, आर्थिक सहायता प्रदान की। 53 एम्बुलेंस सेवा, रक्तदान, पशुओं को चारा वितरण, रोजगार-निर्माण और स्वावलंबन योजनाओं द्वारा लाखों जीवनों को सहारा दिया। उनकी सेवाओं का विस्तार सतत बढ़ रहा है और वे पूर्णतः निःशुल्क, निःस्वार्थ और अखंड हैं।

सभी युगों के लिए एक दूरदर्शी व्यक्तित्व

जगद् गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य योजना, प्रबंधन, साहित्य, धर्म, समाज, तकनीक, पर्यावरण और सेवा—इन सभी क्षेत्रों में कार्यरत एक युगपुरुष हैं। उनके कार्यों से धर्म, विज्ञान, समाजसेवा और मानवता का अद्वितीय संगम साकार हुआ है।

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