

रामानंदाचार्यजी की धर्मग्रंथ एवं उपदेश संग्रह
रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्यजी केवल एक पूजनीय धर्मगुरु ही नहीं, बल्कि एक गहन विचारक, दार्शनिक और प्रबुद्ध लेखक भी हैं। धर्म को जागृत करने, आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार करने और सनातन मूल्यों को स्थापित करने की गहन जिम्मेदारी के साथ, उन्होंने अपनी व्यस्ततम दिनचर्या से समय निकालकर 20 से अधिक पुस्तकें और आध्यात्मिक प्रकाशन लिखे और प्रकाशित किए।
ये पुस्तकें दिव्य ज्ञान का अमृतपूर्ण भंडार हैं — जो सभी भक्तों, साधकों और पाठकों के लिए खुला और सुलभ है।
प्रकाशन
निम्नलिखित साहित्यिक कृतियाँ कई भाषाओं में उपलब्ध हैं:

श्री लीलामृत
रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य स्वयं कवि और लेखक हैं। उन्होंने मात्र 18 दिनों में 3,051 ओवियों का यह पद्यात्मक ग्रंथ रचा। मानवी मन को सात्त्विक बनाने तथा रजोगुण और तमोगुण के दुष्प्रभावों से दूर रहने के लिए इस ग्रंथ में अत्यंत प्रेरक मार्गदर्शन दिया गया है।

जीवनयात्रा
मानवी जन्म दुर्लभ है। देहांत के बाद आत्मा सप्तलोकों का जो प्रवास करती है, उसे निरवरोध और सुखद बनाने का मार्गदर्शन।

मुक्ति के राजमार्ग
सलोक्य, समीप्य, स्वरूप्य, सायुज्य—मुक्ति के इन चार प्रकारों का स्पष्टीकरण; तथा साधक कैसे भक्ति, ज्ञान, कर्म या योग में से किसी भी मार्ग को अपनाकर मोक्ष की ओर प्रगति कर सकता है—इसका विस्तृत वर्णन।

जीवन का रहस्य
यह स्पष्ट करता है कि मोक्ष-प्राप्ति के लिए देह मिलने पर भी मनुष्य प्रयास क्यों नहीं करता और वह रज, तम, सत्त्व—इन तीन गुणों में कैसे उलझ जाता है।

आत्मानंद की खोज में
सायुज्य-मुक्ति पाना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है, और मोक्ष-प्राप्ति में सद्गुरु की भूमिका कितनी महत्त्वपूर्ण है—इसका मार्गदर्शन।

अंधविश्वासों का भेद
ज्ञान और अज्ञान के भेद को स्पष्ट कर वैज्ञानिक सोच, आध्यात्मिक जागरूकता और यथार्थ बुद्धि से जीवन जीने का मार्गदर्शन।

भवसागर का दीपस्तंभ
साधना के दौरान साधकों को होने वाली शंकाओं और कठिनाइयों पर उपाय-सूचनाएँ प्रदान करने वाला मार्गदर्शक ग्रंथ; यह जगद्गुरुओं द्वारा अपने गुरु के आदेश से स्थापित स्व-स्वरूप संप्रदाय का प्रतिबिंब है।

अमृतवाणी
जगद्गुरुओं द्वारा लिखित अनेक प्रेरणादायी विचारों का संकलन।

जागो हे हिंदू बंधुओं
हिंदुओं को अपने धर्म के प्रति स्वाभिमानी बनने के लिए प्रेरित करने वाला विवेचनात्मक ग्रंथ।

ब ालामृत
बच्चों के मन में
आदर्श संस्कार रोपित करने
और उन्हें सहज
कंठस्थ हो सकने वाले
मूल्यों को प्रस्तुत करने वाला काव्य।

भजनमाला नाणीजधाम
गद्गुरुओं द्वारा रचित अभंग, गवळणी, आरतियाँ और स्तोत्रों का संकलन।

नित्यस्तोत्र
साधकों में विनम्रता, शालीनता, सुसंस्कृत दृष्टिकोण, भक्तिभाव तथा सद्गुरु के प्रति श्रद्धा जाग्रत करने हेतु रचा गया भक्तिपूर्ण स्तोत्र।


