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रामानंदाचार्यजीका
समाजके प्रति योगदान

जगद् गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य जी ने अपना संपूर्ण जीवन सेवा (निःस्वार्थ सेवा) को समर्पित किया है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुधार, मानवता की सहायता और आध्यात्मिक सशक्तिकरण के समन्वय के माध्यम से समाज uplift करने का कार्य किया है।
नीचे उनके नेतृत्व में संचालित 41 प्रमुख सेवा उपक्रमों का संक्षिप्त सार प्रस्तुत है —

रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य जी की ४१ सेवा पहल

1. शैक्षणिक सुविधाएँ

ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के गरीब एवं ज़रूरतमंद बच्चों के लिए नर्सरी से बारहवीं (CBSE बोर्ड) तक निःशुल्क अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल और कॉलेज स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

2. वेदपाठशालाएँ

हिंदू धर्म की सभी जातियों के युवाओं को शास्त्रोक्त ज्ञान और पौरोहित्य का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए वेदपाठशालाओं की स्थापना की गई है। इसके माध्यम से युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाता है और धर्म, परंपरा तथा विधियों को मज़बूती प्रदान की जाती है।

3. लड़कियों के लिए वेदपाठशालाएँ

सभी जातियों की लड़कियों को धर्मरक्षण में सक्रिय रूप से शामिल करने, उनके आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने और समाज में स्त्रीशक्ति के सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के उद्देश्य से स्वतंत्र वेदपाठशालाओं की स्थापना की गई है।

  4. एम्बुलेंस सेवा

राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों की सहायता के लिए 24 घंटे निःशुल्क 53 एम्बुलेंसों के माध्यम से सेवा आरंभ की गई है। इन सेवाओं के कारण दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों को समय पर अस्पताल पहुँचाकर अनेक जीवन बचाए जा रहे हैं।

 5. स्वास्थ्य शिविर

पीठों पर आयोजित बड़े उत्सवों में लाखों लोगों की उपस्थिति होती है। इस अवसर पर गरीब और ज़रूरतमंदों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा विभिन्न बीमारियों के निदान और उपचार हेतु निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता है।

  6. व्यसनमुक्ति कार्यक्रम

देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने के लिए हर महीने व्यसनमुक्ति शिविरों का आयोजन किया जाता है। इन शिविरों के माध्यम से हज़ारों युवाओं को फिर से नया जीवन प्राप्त हुआ है और उन्होंने नशामुक्त होकर समाज में सकारात्मक भूमिका निभाना शुरू किया है।

 7. अंधविश्वास उन्मूलन

देश और समाज की प्रगति के लिए अंधविश्वास में जकड़े लाखों लोगों तक स्वयं जाकर आध्यात्मिक प्रबोधन के माध्यम से वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित करने का कार्य किया जाता है। इस प्रयास से न केवल लोगों का मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि समाज में विवेकशीलता और जागरूकता भी बढ़ती है।

  8. कृषि सहायता पहल

ज़रूरतमंद किसानों को बीज, खाद और खेती के उपकरण निःशुल्क प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जाता है। इस सेवा से किसानों की आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है और देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी सशक्त आधार मिलता है।

 9. आपातकालीन राहत सेवा

बाढ़, भूकंप, सूखा, महामारी या कोविड जैसी आपदाओं के दौरान दवाइयाँ, कपड़े और खाद्यान्न वितरण किया जाता है। साथ ही, रोगों के प्रसार को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान भी चलाए जाते हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य और सुरक्षा बनी रहती है।

  10. दिव्यांग सेवा

दृष्टिहीन, दिव्यांग और श्रवण बाधित व्यक्तियों को स्टिक, व्हीलचेयर, कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र जैसी आवश्यक उपकरण प्रदान करके उन्हें गरिमा के साथ जीवन जीने में सहायता की जाती है। इन सेवाओं के माध्यम से दिव्यांगजन समाज के मुख्य प्रवाह में शामिल होकर आत्मनिर्भर जीवन जी पा रहे हैं।

 11. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सहायता

समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए जगद् गुरुओं द्वारा विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इस अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार की सहायता पूरी तरह निःशुल्क प्रदान की जाती है: -
• घरेलू चक्की (घरघंटी) |• सिलाई मशीन
• बकरियाँ और भेड़ें |• गायें और भैंसें
• तथा अन्य आर्थिक आय के साधन

इन सभी योजनाओं के माध्यम से गरीब परिवारों को अपने पैरों पर खड़े होकर आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का अवसर मिलता है, जिससे उनके जीवन में आत्मसम्मान और स्थिरता आती है।

  12.उपपीठों की स्थापना

भारतीय संस्कृति, उसके संस्कारों और भक्ति मार्ग को दूर-दूर तक पहुँचाने के लिए जगद् गुरु रामानंदाचार्य दक्षिणपीठ, नाणीजधाम के कई उपपीठ विभिन्न राज्यों में स्थापित किए गए हैं। इन उपपीठों के कार्यक्षेत्रों में प्रत्यक्ष जाकर वैदिक सनातन धर्म की जनजागृति के लिए व्यापक अभियान चलाए जाते हैं।  इन अभियानों के माध्यम से लोगों में मानसिक शांति, भाईचारा और सद्गुणों की भावना विकसित होती है।

 13. भक्ति मार्ग का प्रचार

जगद् गुरु रामानंदाचार्य दक्षिणपीठ, नाणीजधाम के उपपीठों पर उपासना केंद्र, यात्री निवास, धर्मशालाएँ और अन्नक्षेत्रालय स्थापित किए गए हैं। इन माध्यमों से भक्ति, उपासना और सेवा के मार्ग द्वारा समाज में मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और विश्वबंधुत्व की भावना को दृढ़ किया जाता है।

  14. वारी उत्सव समारोह

वैदिक सनातन धर्म की परंपराओं, रीति-रिवाजों, त्योहारों और विधियों का ज्ञान देने के लिए वर्ष में कई बार भव्य वारी उत्सवों का आयोजन किया जाता है। इन उत्सवों में लाखों भक्त एकत्र होते हैं, जिससे प्रेम, एकता और सौहार्द्र का वातावरण बनता है।
इन विशाल आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाती हैं।

 15. ग्लोबल वार्मिंग जनजागृति पदयात्रा

ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते संकट का सामना करने के लिए हर वर्ष हज़ारों युवक-युवतियों की सहभागिता से “वसुंधरा पायीदिंडी” नामक पदयात्रा आयोजित की जाती है। इन जनजागृति यात्राओं के माध्यम से लोगों को जलवायु परिवर्तन के ख़तरों के बारे में जागरूक किया जाता है।
गोवा, तेलंगाना और महाराष्ट्र राज्यों से शुरू होकर यह पदयात्रा लगभग सभी ज़िलों से होकर गुज़रती है और हज़ारों मील का सफ़र तय करती है। प्रत्येक वर्ष 11 सितंबर से 21 अक्टूबर तक यह अभियान चलता है और नाणीजधाम में आकर समाप्त होता है।

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