

जगद् गुरुंका कालदर्शन
रामानंदाचार्यजी का कालदर्शन” केवल तिथियों का संग्रह नहीं है—यह दृष्टि, अनुशासन और सुविचारित योजना का एक सुसंगत समन्वय है।
परमेश्वर ने मानव जाति को दो अत्यंत मूल्यवान वरदान दिए हैं—समय, जिसे जीवन कहा जाता है, और मानवी देह। जगद्गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य के मतानुसार, यदि इन दोनों का उचित नियोजन और उचित उपयोग किया जाए, तो मानवी देह के माध्यम से असंख्य परोपकारी और लोकहितकारी कार्य साध्य हो सकते हैं।
अपने जीवन-प्रवास को दूरगामी, गतिशील और सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए जगद्गुरुओं ने सन 1997 से प्रतिवर्ष एक विस्तृत वार्षिक दिनदर्शिका तैयार करना प्रारम्भ किया। वे हर वर्ष ऐसी दिनदर्शिका तैयार करते हैं और उसी नियोजन के अनुसार अपनी दैनिक दिनचर्या कठोरता से निभाते हैं। इस दिनदर्शिका में उनके समस्त 365 दिनों के कार्यों का सूक्ष्म नियोजन होता है। आगामी वर्ष की यह दिनदर्शिका प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को—नए वर्ष के आरम्भ से पहले—अनुयायियों को उपलब्ध करा दी जाती है।
