

एक ही तत्व का
अखंड प्रवाह
आदि जगद् गुरू रामानंदाचार्य आणि जगद् गुरू
रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य
रामानंदाचार्य और नरेंद्राचार्य के बीच
आश्चर्यजनक समानता
भगवान आद्य जगद् गुरू रामानंदाचार्य के चरित्र का अध्ययन जब उनके प्राचीन ग्रंथों के आधार पर किया जाता है और दूसरी ओर जगद् गुरू नरेंद्राचार्य जी के कार्यों का (सन 1992 से दर्ज ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार) गहन विश्लेषण किया जाता है, तब यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि इन दोनों दिव्य व्यक्तित्वों में कई स्तरों पर आश्चर्यजनक साम्य (Astonishing Parallels) विद्यमान हैं।
जन्मदिवस
दोनों का जन्म शुक्रवार के दिन हुआ।
पसंदीदा भोजन
दोनों को ही खीर (गोड पायसं) अत्यंत प्रिय है।
गोत्र
दोनों ही वसिष्ठ गोत्र से संबंधित हैं।
करुणा
दोनों के हृदय में गरीब, पीड़ित और असहाय लोगों के प्रति असीम करुणा और संवेदना है।
समानता का संदेश
दोनों ने ही जाति-पाति, शुद्ध-अशुद्ध जैसी कुप्रथाओं और सामाजिक भेदभाव का खंडन किया।
तत्त्वज्ञान
दोनों ने विशिष्टाद्वैत सिद्धांत को स्वीकार किया , अर्थात् परमेश्वर सर्वत्र व्याप्त है।
विश्वदृष्टि
दोनों ने ही यह उपदेश दिया कि “हरी (विष्णु) और हर (शिव)” में कोई भेद नहीं है , दोन ों में एक ही ब्रह्मतत्त्व है, जो सूक्ष्म कण से लेकर विशाल ब्रह्मांड तक व्यापित है।
धर्मरक्षण
दोनों ही सनातन धर्म की रक्षा के लिए सदैव सतर्क रहे और हिंदू धर्म की नींव को समाज के हर स्तर पर मजबूत किया।
सामाजिक परिवर्तन
शिक्षा, सेवा और धार्मिक मार्गदर्शन के माध्यम से दोनों ने ही समाज में गहन और स्थायी परिवर्तन लाए।
मानवतावादी कार्य
दोनों ने शिक्षा, बेरोजगारी, आपदा राहत और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान जैसी प्रमुख सामाजिक समस्याओं को अपने कार् यों का केंद्र बनाया।
